संजीवनी के फूलों से शहद तैयार करने वाली युवतियां:राजस्थान में खड़ा किया ऑर्गेनिक स्टार्टअप, जामुन, अजवाइन के फूलों से भी बना रहीं शहद
अक्सर जब आप शहद खरीद रहे होते हैं तो क्या कभी आपने गौर किया है कि आप कौन सा शहद ले रहे हैं? शायद नहीं। 80 प्रतिशत से अधिक लोग तो दुकानदार जो शहद थमा देता है, उसे लेकर चले आते हैं, जबकि वो शहद उनके लिए फायदेमंद है भी या नहीं, वो यह नहीं जानते।
राजस्थान की तीन युवतियों का स्टार्टअप उत्तराखंड में केदरानाथ के औषधीय फूलों से लेकर कर्नाटक के अजवाइन तक के फूलों का शहद उपलब्ध करा रहा है। आइए जानते हैं मनशा अग्रवाल, तमन्ना अग्रवाल और हुनर गुजराल के स्किल्स की कहानी-
कुछ अपना करने की ऐसे हुई शुरुआत
मनसा ने बताया कि मैंने एमकॉम के बाद आईआईएम रोहतक से डिजिटल मार्केटिंग में आईबी सर्टिफिकेशन हासिल किया। उसके बाद मैंने 12 साल जोधपुर में पढ़ाया। मैं, दोस्त हुनर गुजराल और यूनिवर्सिटी ऑफ सुरे (University of Surrey, United Kingdom) से पढ़कर आई ननद (सिस्टर इन लॉ) तमन्ना अक्सर बातें किया करती थीं कि हेल्थ के लिए हमें मिलकर कुछ करना चाहिए। Source URL फिर हमें शहद को लेकर आइडिया आया। इस सेक्टर में मार्केट की रिसर्च की तो हमने पाया कि मार्केट में 80 फीसदी शहद अडल्टरेटेड है जो कि लोगों की हेल्थ के लिए नुकसानदायक है। हमने फैसला किया कि हम शहद को जैसा प्रकृति से लेंगे वैसा ही कंज्यूमर तक पहुंचाएंगे।
मनसा अग्रवाल बताती हैं कि हमारे द्वारा नेचुरल ढंग से निकाला गया शहद आम लोगों के साथ-साथ ऐसे लोगों के लिए बेहद फायदेमंद है जिनकी इम्यूनिटी कोविड के बाद से कम हुई है।
तीनों ने हेल्थ पर काम करने की सोची और रख दी शिवा ऑर्गेनिक की नींव
शिवा ऑर्गेनिक नाम के स्टार्टअप को जयपुर की मनशा अग्रवाल, तमन्ना अग्रवाल और हुनर गुजराल ने शुरू किया है। मनशा ने आईआईएम, रोहतक से डिजिटल मार्केटिंग की ट्रेनिंग ली है। तमन्ना ने इंग्लैंड तो हुनर ने मेलबर्न, ऑस्ट्रेलिया (Presbyterian Ladies’ College, Melbourne) से पढ़ाई की है। तीनों को लोगों की हेल्थ पर काम करने का आइडिया आया और दो साल की रिसर्च के बाद अक्टूबर 2020 में उन्होंने शहद को चुना। यहीं से शिवा ऑर्गेनिक की नींव पड़ी।
आदिवासी और मधुमक्खी पालन करने वाली महिलाओं को कर रही प्रोत्साहित
मनशा, तमन्ना और हुनर कहती हैं कि हम मधुमक्खी पालन और मधुमक्खी उत्पादन पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। हमने आदिवासियों और मधुमक्खी पालकों के जीवन को समर्थन देने के लिए पहल की है। आज हम मधुमक्खी पालकों के सहयोग से केदारनाथ से लेकर कर्नाटक तक शहद का उत्पादन कर रहे हैं। केदारनाथ शहद को मधुमक्खियां संजीवनी जैसे औषधीय पौधों के फूलों से जमा करती हैं।
मनसा कहती हैं कि हम ज्यादा से ज्यादा बी कीपर्स (Bee keepers) महिलाओं को शहद उत्पादन की चेन में जोड़ रही हैं।
लीची, जामुन, सरसों, बबूल, अजवाइन सहित तमाम फूलों का शहद मौजूद
मनशा, तमन्ना और हुनर बताती हैं कि उन्होंने देश के अलग-अलग प्रांतों की खसियतों के हिसाब से शहद कलेक्शन की एक चेन तैयार की है जैसे कि बिहार से लीची, राजस्थान से सरसों, कश्मीर से बबूल, उत्तर प्रदेश से जामुन, झारखंड से वन तुलसी, कर्नाटक से अजवाइन, महाराष्ट्र से सूरजमुखी, मध्य प्रदेश से धनिया, सिक्किम से नारंगी तो हिमाचल से थाइम व चेस्टन के क्षेत्रों में मौजूद मधुमक्खियों के बनाए शहद को एकत्र किया जाता है। इसी वजह से इनमें फ्लेवर अलग हो जाता है और इनकी खासियतें भी अलग-अलग होती हैं।
जैसा हम प्रकृति से लेते हैं, वैसा ही कंज्यूमर तक पहुंचाते हैं
तीनों कहती हैं कि देश के विभिन्न राज्यों से बनाए गए शहद का रंग और स्वाद अलग-अलग है। हम जैसा प्रकृति से लेते हैं, वैसा ही आगे पहुंचाते हैं। शहद बनाने के प्रोसेस के दौरान मधुमक्खियों को कोई क्षति नहीं पहुंचाई जाती है। हमने मधुमक्खियों को लेकर रिसर्च की है और देश के वैज्ञानिकों का सहयोग लिया है। राजस्थान से होने के कारण हमें राज्य से बेहद लगाव है और भरतपुर में हम सरसों के खेतों से शहद जुटा रहे हैं।
जहां तक रोजगार की बात है तो हम राजस्थान, जम्मू एवं कश्मीर, उत्तराखंड, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक की तमाम बी-कीपर महिलाओं और पुरुषों को अपने स्टार्ट अप से जोड़ रहे हैं। उन्हें बी-कीपर सहित कई जरूरी साजो-सामान उपलब्ध कराने के साथ-साथ काम करने के तरीकों के बारे में भी बता रहे हैं।
देश और दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में अपने प्रॉडक्ट का करती हैं प्रदर्शन
मनसा अग्रवाल का कहना है कि हम अपने स्टार्ट अप के प्रॉडक्ट का प्रदर्शन देश के अलग-अलग हिस्सों में तो करते ही हैं साथ ही दुनिया के अलग-अलग देशों में भी प्रचार का मौका नहीं चूकते हैं। अपने प्रॉडक्ट में सबसे यूनीक शहद केदारनाथ नाम से हम लाए हैं जो कि संजीवनी बूटी वाले पौधों के फूलों से मधुमक्खियां बनाती हैं। इस शहद की जब ऑस्ट्रेलिया में जांच कराई गई तो पता चला कि इस शहद में सबसे ज्यादा आयरन पाया गया।
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